Neeraj Agarwal

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लेखनी कहानी -20-Jan-2024

शीर्षक - एक सच.....मन का


                  आज एक कहानी एक सच मन का एक मन जीवन में हम सभी के पास चंचल और तेज पहुंचने वाला मन हम सभी जीवन में सच फरेब झूठ अपने मन मैं एक सच होता है जो हम किसी के साथ भी साझा नहीं करते हैं। आज की कहानी भी कुछ इस तरह की है हम जिस किरदार के साथ कहानी लिखते हैं वह किरदार भी एक सच के साथ अपने मन की बात को किसी के साथ साझा नहीं करता है तब आप खुद ही सोचें जीवन में एक सच मन का होता है। अब आप कहानी पढ़ते हुए यह सोच रहे होंगे। कि मन तो सबका ही होता है। इसमें नया कहां है और सही बात है हम सब अपने मन की बातों का साझा सबसे नहीं करते हैं। आओ कहानी पढ़ते हैं
               मार्था एक ईसाई समुदाय से पढ़ी-लिखी समझदार महिला है जिसने जीवन में अकेले रहने के लिए अपने आप को एक नन के रूप में स्थापित किया और वह एक स्कूल में बच्चों को हिंदी और इंग्लिश विषय को पढ़ती थी वैसे मार्था के माता-पिता बचपन में एक हवाई एक्सीडेंट में मारे गए थे तब से मार्था अपने माता-पिता के दफनाने की बाद जीवन के सांसारिक मोह से अलग सी हो गई थी क्योंकि उसने बहुत संघर्ष करके अपने जीवन को बनाया और वह आज पड़ोस और जीवन में एक सच को मन में रख लिया वह यह था कि कोई जीवन में किसी का साथ नहीं देता है भला ही वह माता-पिता हूं दोस्त हूं भाई हूं बहन हूं सभी को एक न एक दिन एक दूसरे का साथ छोड़ कर जाना पड़ता है और जब हम जीवन में किसी के लिए आकर्षण मोह प्रेम इश्क रखते हैं तब उसके चले जाने के बाद हमारा जीवन टूट जाता है। एक सच केवल मन का है। अगर हम जीवन में निस्वार्थ भाव से देखें तो हम खुद स्वयं अपने आपके कहां है क्योंकि जीवन में अकेले आना अकेले जाना ही नियति है परंतु हम सब लोग अपने धन वैभव और ऐश आराम को जीवन समझते हैं और अपने रिश्ते नातों को जिंदगी का सच समझते हैं। जबकि एक सोच मन की होती है की मन से ही हम जीवन को चलते हैं।
            एक सोच मन के साथ-साथ परिवार और हम रहते हैं न जाने हमारे मन में कितने विचार होते हैं और हम अपने विचारों को कभी किसी से साझा करते नहीं है। बस मार्था भी एक सोच मन में रखती थी जब जीवन में सबके साथ रहना ही नहीं है और कुछ सच ही नहीं है। तब हम क्यों किसी के लिए दुख और सुख का अनुभव करें जीवन मिला है प्रभु के नाम और राह पर चलने के लिए और उसे हम सफल बनाएं एक सोच मार्था के मन की थी। और वह अपनी सोच के साथ-साथ जीवन जी रही थी।
       जीवन की हकीकत भी कुछ ऐसी है हम सभी एक सोच मन के साथ हैं जिंदगी चलती रहे तो यही है और कुछ नहीं है। हम सभी कहानी पढ़ते हैं गाने लिखते हैं और धारावाहिक भी देखते हैं। केवल एक सोच और मन के साथ हमारा सब का जीवन चलता है और वही एक सच मन के साथ मन में ही रह जाती है और हम बस यही कह देते है। एक सोच मन की होती हैं।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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10 Comments

Sushi saxena

23-Jan-2024 08:18 PM

Nice one

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Mohammed urooj khan

22-Jan-2024 12:12 PM

👍👍👍👍

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Shnaya

22-Jan-2024 12:20 AM

Very nice

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